इंटरनेट का इतिहास (History of Internet )
इंटरनेट का इतिहास (History of Internet )
आज के टाइम में इंटरनेट ही कुछ लोगों का सहारा हैं ,जिसके जरिए उन्हें खाना मिलता हैं। मतलब उनके घर का खर्च इसी से चलता हैं । साथ में पुरे देश की अर्थव्यवस्था भी इंटरनेट (Internet )के जरिए ही चलती हैं ,जरा सोचिए अगर इंटरनेट बंद हो जाये तो किया होगा। बस इमेजिन करके देखिए आज के जमाने में इंटरनेट (Internet )के बीना कुछ भी नहीं हैं। आज एक आम आदमी भी इंटरनेट के जरिए अपनी आम जिंदगी को थोड़ी खाश बना लेता हैं ,ऐसे में इंटरनेट (iNTERNET ) के बिना तो जीना ही मुश्किल हो जाएगा पर अब सवाल आता हैं की इंटरनेट बना कैसे और किसने बनया तो दरासल एक दूसरे से आगे निकलने के चककर में हुई थी और ये रेस थी किस चीज की तो ये थी रेस थी पहला सैटेलाइट लॉन्च करने की असल में हुआ ये था की 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ ने पहला मैन मेड सैटेलाइट लॉन्च किया था सैटेलाइट का नाम स्पूतनिक (Sputnik)था। जिसके बारे में सुनके पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था वही अमेरिका जो सोवियत संघ से पहले अपना सैटेलाइट लॉन्च करना चाहता था उसके भी होस उड़ गए ये देख कर इसी वजह से अमेरिका जो पहले करना चाहता था वो नहीं कर पाया फिर दोनों देशो के बीच कोल्ड वॉर
(Cold War )शुरू हो गया था। फिर अमेरिका (America )के राष्ट्रपति Dwight D. Eisenhower ने 1957 में ही सोवियत संघ से हुई कोल्ड वॉर (Cold War )के बाद में 1958 में एक एजेंसी का निर्माण कर दिया जिसका नाम ARPA रखा गया यानि एडवांस रिसर्च प्रॉजेक्ट्स एजेंसी (Advanced Research Projects Agency )इस एजेंसी का काम था देश की तकनीक और ताकत को तेजी के साथ बढ़ाना और ये एजेंसी यही करती थी . 1972 में इस एजेंसी का नाम बदलकर DARPA यानि डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रॉजेक्ट्स एजेंसी (Defense Advanced Research Projects Agency )हो गया था। और इसके बाद 1993 में इन्होने फिर से इसका नाम ARPA ही कर दिया। और 1996 में इन्होने फिर से इसका नाम बदलकर DARPA कर दिया था और इसी एजेंसी की वजह से इंटरनेट (Internet )का निर्माण हुआ था। और ये निर्माण हुआ ऐसे था उस वक़्त के कंप्यूटर (Computer )size में काफी बड़े होते थे इतने बड़े की उनको रखने के लिए एक बड़े कमरे की जरुरत होती थी
उस टाइम के कंप्यूटर मल्टीपल कंप्यूटर मतलब एक से ज्यादा कंप्यूटर को एक साथ नेटवर्क से जोड़े कर नहीं चलाया जा सकता था। उस टाइम ARPA बूत तेजी से अपने साइंस के जरिए कामयाबी हासिल कर रही थी पर उन्हें इन सब चीजों में तकलीफ हो रही थी की एक से ज्यादा मल्टीपल कंप्यूटर को जोड़कर एक नेटवर्क से एक साथ नहीं चला सकते थे। जिसकी वजह से उन्हें परेशानी होती थी। फिर इनके दिमाग की बत्ती जाली और इन्होने सोचा कुछ और करने से पहले कियो न ये सोचा की अपने कंप्यूटर एक साथ एक नेटवर्क पर कैसे चलाया जाये ,तो इन्होने फिर नेटवर्किंग टेक्नोलॉजी बनाने के लिए एक टेक्निकल कंपनी की मदद लेना उचित समझा और इन्होने (BBN Technologies )नाम की कंपनी को अपने साथ कर लिया इनका मकसद ये था की चार अलग -अलग ऑपरेटिंग सिस्टम वाले कंप्यूटर Computers को एक साथ एक नेटवर्क से जोड़ना था। फिर इन्होने काफी हद तक कर दिखाया इन्होने निर्माण किया अप्रानेट (Apranet ) का और ये दुनिया का ऐसा पहला इंटरनेट कनेक्शन बन गया जिसमे TCP/IP
प्रोटोकॉल Protocol मतलब इंटरनेट के रूल को लागु किया गया TCP मतलब ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल(Transmission Control Protocol)
और IP बोले तो इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol )होता हैं Ip Address के बारे में तो सुना ही होगा इसक मतलब भी यही होता हैं। और फिर ARPA यानि (Advanced Research Projects Agency )इसे और एडवांस बनाने के लिए काम करती रही और इसे पहले और बेहतर बनती रही फिर इनकी दिमाग की बत्ती फिर जली और इन्होने सोचा क्यों न ARPANET को पैकेट रेडियो (Packet Radio ) के साथ जोड़ दिया जाए जिसका प्रयोग डेटा के पैकेट को भेजने के लिए किया जाता हैं। पैकेट रेडियो का प्रयोग डेटा को लंबी दुरी तक संचारित करने के लिए किया जाता हैं। पैकेट रेडियो (Packet Radio )का प्रयोग दो कंप्यूटरों को कनेक्ट करने के लिए रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर का उपयोग किया जाता हैं जिसकी वजह से दो कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए किसी भी तरह की वायर जरुरत नहीं होती हैं। तीन साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद इन्होने आखिर कर दिखाया Arpanet और Prnet को दो कंप्यूटरों के साथ कनेक्ट करने में कामयाब हो गए। और फिर तो जैसे कामयाबी इनके कदम चूमने लगी इसके एक साल बाद यानि 1978 में इन्होने इन दोनों नेटवर्को को सैटेलाइट नेटवर्क से कनेक्ट कर दिखाया और
तरह दुनिया के बहुत से नेटवर्क आपस में जोड़ दिए गए इसी कारण आज हम जो छाए इंटरनेट पर कर सकते हैं चाहें फिर वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो वह इंटरनेट पर हम वो भी देख सकते हैं.फिर इसका नाम इंटर नेटवर्किंग (Inter -Networking )रख दिया गया जिसे आज हम इंटरनेट (Internet )के नाम से जानते हैं। और फिर किया था inter -Networking के सामने आते ही बहुत सारे लोग अपने नेटवर्क इससे जोड़ने लगे और 1989 में एक वैज्ञानिक ने जिनका नाम Tim Berners Lee टीम बेर्नेर्स ली था। तब तक इन्होने एक नए सिस्टम को खोज डाला जिससे दुनिया का हर इंसान दुनिया के किसी भी कोने से किसी भी चीज की जानकारी इंटरनेट पर कुछ ही मिनट में इंटरनेट पर ढूंढ सकता था बस एक URL के जरिए मतलब लिंक Link के जरिए।इस सिस्टम को वर्ल्ड वाइड वेब(World Wide Web)
मतलब (WWW ) के नाम से जानते हैं। इस चीज के आने के बाद न इसमें
लगातार इंटरनेट की दुनिया में बदलाव आते रहे। जैसे की आज हर इंसान के पास फोन ,स्मार्टफोन ,स्मार्टवॉच , टीवी ,कंप्यूटर ,लैपटॉप ,टैब ,कैमरा ,और भी बहुत सारि चीजों से इंटरनेट को जोड़ दिया गया हैं। और ज्यादा नहीं लगभग सन 2050 तक हमारे आस पास जितनी भी चीजे होंगी सब इंटरनेट से जुडी हुई होंगी जैसे आज के जमाने में हमें जो चाहिए होता हैं अगर हमारा बाहर जाने का मन नहीं होता हैं तो हम घर पर बैठे -बैठे ही इंटरनेट के जरिए सारा सामान घर पर ही मँगवा लेते हैं। ये एक तरह से बहुत सुविधाजनक भी हैं पर नुकशान दे भी हैं क्योकि इंसान इतना आलसी हो चूका हैं की कुछ पूछो ही मत उसका बस चले तो इंसान टॉयलेट भी करने न जाए।
हमने इंटरनेट के बारे और भी बहुत सारि जानकारी दी हुई हैं आप इस ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। धन्यवाद। ....
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