सी० पी० यू० की बनावट ( Structure Of C P U )
सी० पी० यू० की बनावट ( Structure Of C P U )
आज इस पोस्ट पर हम जानेंगे की कैसे (C P U) कैसे बनाया जाता हैं किया होता हैं। (C P U) में और किया नहीं होता हैं तो चलिए स्टार्ट करते हैं।
सी० पी० यू० की बनावट ( Structure Of C P U )
अब तक हमने जाना की कंप्यूटर इनपुट डिवाइसेज द्वारा सूचनाओं को प्राप्त करता हैं , उन्हें प्रोसेस करता हैं एवं बाद में परिणाम को आउटपुट डिवाइस पर प्रस्तुत करता हैं।
कंप्यूटर में प्रोसेसिंग यूनिट ( Central Processing Unit ) का छोटा नाम हैं।
सी० पी० यू० को कंप्यूटर का सबसे मुख्य भाग माना जाता हैं। इसे कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता हैं।
सी० पी० यू० को चित्र द्वारा निम्न प्रकार पर्दर्शित किया जा सकता हैं -
सी० पी० यू० ( C P U )
सी० पी० यू० ( C P U ) को तीन मुख्य भागों में बाँटा जा सकता हैं -
1. कंट्रोल यूनिट ( Control Unit )
2. अर्थमैटिक एंड लॉजिक यूनिट ( Arithmetic And Logic Unit )
3. मैमोरी यूनिट ( Memory Unit )
1. कंट्रोल यूनिट ( Control Unit )
जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क का काम होता हैं , उसी प्रकार कंप्यूटर में मस्तिष्क का काम सी० पी० यू० ( C P U ) की कंट्रोल यूनिट ( Control Unit ) द्वारा किया जाता हैं। यह यूनिट इनपुट डिवाइसेज जैसे - की - बोर्ड आदि द्वारा दिए गए निर्देशों को संग्रहित कर प्रोग्राम में दिए गए आदेशों के अनुसार ,
सी० पी० यू० में स्थित अन्य दोनों युनिटो , अर्थमैटिक एंड मैजिक यूनिट ( A L U ) एवं मैमोरी यूनिट से सूचनाएँ आदान - प्रदान करती हैं। इसी प्रकार मैमोरी यूनिट एवं अर्थ मैटिक एंड लॉजिक यूनिट भी अपना कार्य करने के बाद सूचनाएँ कंट्रोल यूनिट को देती हैं। इसके बाद कंट्रोल यूनिट , प्रोग्राम की सहयता से परिणाम को आउटपुट डिवाइस पर प्रस्तुत करती हैं।
2. अर्थमैटिक एंड लॉजिक यूनिट ( Arithmetic And Logic Unit )
अर्थमैटिक एंड लॉजिक यूनिट ( Arithmetic And Logic Unit ) या फिर हम इसे ( A L U ) भी कह सकते हैं यह शॉर्टकट नाम हैं। इस यूनिट का कार्य तार्किक कार्यो को करने के लिए किया जाता हैं। अर्थमैटिक एवं लॉजिक यूनिट में डाटा लॉजिकल गेट्स ( Logical Gates ) में से गुजरता हैं , इन गेट्स की सहायता से गणितीय और लॉजिक कार्य किये जाते हैं।
( A L U) ( Arithmetic And Logic Unit)
यह यूनिट जोड़ ,घटा , गुणा ,भाग तथा तार्किक ( Logical ) किर्याओं को करती हैं , गणनाएँ करने के बाद परिणाम को कंट्रोल यूनिट को वापस दे देती हैं।
यह कार्य सोचने में तो बोहोत लम्बा प्रतीत होता हैं , किन्तु सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट इसे सेकंड के लाखवें भाग जैसे थोड़े समय में पूरा कर लेती हैं।
बोहोत - से कम्पूटरो में अर्थमैटिक ( Arithmetic ) को प्रोसेसर ( Co - Processer ) होते हैं , इनकी सहयता से कंप्यूटर की गति बढ़ जाती हैं। कंप्यूटर की एक विशेषता यह हैं की वह सिर्फ जोड़ सकता हैं यदि आप 2 की गुणा 4 से करना चाहते हैं, तो कंप्यूटर 4 को 4 बार जोड़कर परिणाम प्रस्तुत करता हैं।
कंप्यूटर संख्याओं को घटा नहीं सकता अब देखते हैं की कंप्यूटर संख्याओं को किस प्रकार घटाता हैं।
माना 50 में से संख्या 24 को घटाना हैं। इसके लिए पहले 9 के उतने ही अंग लीजिए जितने 50 में हैं। इस प्रकार हमारे पास 99 प्राप्त होगा। इस संख्या को - 24 में जोड़े -----
3. मैमोरी यूनिट ( Memory Unit )
कंप्यूटर में कार्य करने के लिए प्रोग्राम की आवश्यकता होती हैं , और प्रोग्राम को रन करने के लिए प्रोग्राम को मैमोरी में लोड ( Load ) किया जाता हैं।
कंप्यूटर में दो प्रकार की मैमोरी होती हैं।
1. अस्थायी मैमोरी / रैंडम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory )
2. स्थायी मैमोरी / रीड ऑन मैमोरी 'रोम ' ( Read Only memory )
1. अस्थायी मैमोरी / रैंडम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory )
रैंडम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory ) या फिर हम इसे ( रैम ) ( RAM ) भी कह सकते हैं , यह इसका शॉर्टकट नाम हैं। कंप्यूटर में मुख्य रूप से अस्थायी मैमोरी का प्रयोग किया जाता हैं। इस प्रकार की मैमोरी को रैंडम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory ) कहा जाता हैं। रैंडम एक्सेस मैमोरी का छोटा नाम 'रैम' ( R A M ) हैं। रैंडम एक्सेस मैमोरी में सूचनाएँ सिर्फ उतने समय तक सुरक्षित रहती हैं , जितने समय तक कंप्यूटर में विद्युत धारा प्रवाहित होती हैं । रहती हैं। जैसे ही विद्युत धारा का परवाह बंद होता हैं , मैमोरी में सुरक्षित डाटा मिट जाता हैं। मतलब जब तक कंप्यूटर ऑन रहता हैं। उसमे डाटा सेफ रहता हैं , पर जैसे ही कंप्यूटर ऑफ़ करदिया जाता हैं. उसका डाटा मिट जाता हैं इस प्रकार की मेमोरी को वोलेटाइल मैमोरी
( Volatile Memory ) भी कहा जाता हैं जिसका अर्थ शीघ्र समाप्त होने वाली मेमोरी होता हैं।
रैंडम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory )
2. स्थायी मैमोरी / रीड ऑन मैमोरी 'रोम ' ( Read Only memory )
'रोम ' रीड ओनली मैमोरी ( Read Only memory ) या फिर इसे शॉर्टकट में ( ROM ) भी कह सकते हैं। यह एक प्रकार की ऐसी मैमोरी हैं जिसमे से सूचनाओं को सिर्फ पढ़ा ही जा सकता हैं। इस मैमोरी की विशेषता
हैं। की इस मैमोरी में हम सूचनाओं को लिख नहीं सकते। इसमें सूचनाओं को लिखने के लिए एक विशेष
पद्धाति का प्रयोग किया जाता हैं। रिड ओनली मैमोरी में जिस मशीन द्वारा प्रोग्राम लिखा जाता हैं , उसे साधारण परिभासा में प्रोग्रामर कहा जाता हैं। रीड ओनली मैमोरी में ऐसी सूचनाओं को लिखा जाता हैं जिन्हे लंबे समय तक बदलने की आवश्यकता ना पड़े . कंप्यूटर का बटन जैसे ही ऑन 'ON ' किया जाता हैं , वैसे ही कंप्यूटर को एक ऐसे प्रोग्रामर की जरुरत होती हैं , जोई उसे बूट ( Boot ) होने में सहायता करता हैं। इस प्रकार के प्रोग्राम को ( BIOS ) कहा जाता हैं। ( BIOS ) का पूरा नाम ( Basic Input Output System ) हैं। इस प्रोग्राम को रीड ओनली मैमोरी में लिखा दिया जाता हैं। टी० वी० में ध्वनि को नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम भी रोम ( ROM ) के अच्छे उदहारण हैं। इस मैमोरी के प्रत्येक पते ( Address ) का स्थान सेंट्रल
प्रोसेसिंग यूनिट को पता होता हैं। इस मैमोरी में कंप्यूटर की आवश्यकतानुसार सूचनाओं को लिखा जाता हैं।
रीड ओनली मैमोरी ( ROM ) मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं। -
(a) प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Programmable Read-Only Memory )
(b) इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Erasable Programmable Read Only Memory )
(c) इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Electrically Erasable Programmable Read only memory )
(a) प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Programmable Read-Only Memory )
प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Programmable Read-Only Memory ) या फिर इसे आप पी० रोम० ( PROM) भी कह सकते यह इसका शॉर्टकट नाम हैं। यह एक ऐसी मैमोरी हैं जिस पर सिर्फ एक बार स सूचनाओं को लिखा जा सकता हैं. यह एक आई० सी० पर लिखी मैमोरी हैं , जिसे कंप्यूटर आवश्यकता पड़ने पर बार बार पढ़ तो सकता हैं , लेकिन इस पर कुछ लिख नहीं सकता . इस मैमोरी को हिंदी में प्रोग्रामित पठन मात्र स्मृति कहा जाता हैं।
प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Programmable Read-Only Memory
(b) इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Erasable Programmable Read Only Memory )
(b) इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Erasable Programmable Read Only Memory ) या फिर इसे आप ई० पी० रोम ( EPROM ) भी कह सकते हैं इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मयह एक ऐसी मैमोरी हैं।, जिसमे लिखे प्रोग्राम को आवश्यकता पड़ने पर मिटाया जाता हैं। इस प्रोग्राम को मिटाने के लिए पराबैंगनी प्रकाश ( Ultra Violet Light ) का प्रयोग किया जाता हैं , एक बार प्रोग्राम समाप्त होने के बाद इसमें दोबारा प्रोग्राम लिख सकते हैं। इस मैमोरी को हिंदी में मिटाने योगय प्रोग्रमित पठान मात्र स्मृति . इस स्मृति में सूचनाओं को तब तक सुरक्षित नहीं किया जा सकता हैं , जब तक उस मैमोरी में पुरानी सूचनाएं सुरक्षित हैं।
Erasable Programmable Read-Only Memory
(c) इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी ( Electrically Erasable Programmable Read only memory )
इसे आप ई० ई० रोम० ( EEPROM ) भी कह सकते हैं। इसमें लिखे प्रोग्राम को मिटाने के लिए इलैक्ट्रिकल संकेतो ( Electrical Signals ) का प्रयोग किया जाता हैं। इसी कारन इस मैमोरी का नाम इलैक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी हैं। इस मैमोरी में हम संकेतो को आवश्यकता पस्ने पर मिटा सकते हैं। इस मैमोरी को हिंदी भाषा में ' मिटाने योगय विद्युत् प्रोग्रामित पठान मात्र स्मृति ' खा जाता हैं। हमें पता हैं। की कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम ( Binary Number System ) पर कार्य करता हैं। इस में शून्य "0 ' एवं एक '1 ' का प्रयोग किया जाता हैं। शून्य '0 ' अथवा एक '1 ' को बिट ( BIT ) खा जाता हैं। विद्युत् प्रवाह के द्वारा इलेट्रॉनिक सर्किट्स में यह स्थिति उत्पन्न की जाती हैं। मैमोरी को नापने की इकाइयाँ निनलिखित हैं।
1. बिट ( BIT ) कंप्यूटर मैमोरी सबसे छोटी इकाई बिट हैं प्रत्येक विद्युत् सैल बाइनरी नंबर सिस्टम पर कार्य करता हैं जिसे शून्य '0 ' एवं एक '1 ' द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं.( Binary Digi ) को ही बिट ( bit ) कहा जाता हैं।
( Binary Digit)
कंप्यूटर में प्रत्येक सुचना बिट्स के रूप में सुरक्षित रहती हैं। जैसे कंप्यूटर में निम्न मानो को कंप्यूटर में अग्र प्रकार स्टोर किया जाता हैं
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